1 |
कृषक प्रशिक्षण -दलहनी फसलों में बौछारी सिंचाई के लाभ |
बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा के अन्तर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, बाँदा द्वारा ‘‘दलहनी फसलों में बौछारी सिंचाई के लाभ’’ विषय पर एक कृषक प्रशिक्षण का आयोजन बड़ोखर विकास खण्ड के ग्राम त्रिवेणी किया गया। प्रशिक्षण में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 श्याम सिंह ने कृषकों को बताया कि खेती में पानी का बहुत महत्व है। पानी की कमी को देखते हुए कम पानी से अधिक उत्पादन लेने हेतु किसान भाईयों को नयी तकनीक का प्रयोग करना होगा इससे बौछारी सिंचाई विधि बहुत ही उपयोगी है। डा0 सिंह ने बताया कि दलहनी फसलों से अधिक उपज लेने के लिए पौधों की जड़ों के पास वायु का संचार हमेशा बना रहना चाहिए जिससे इनकी जड़ों में पाये जाने वाले राइजोबियम बैक्टीरिया की बढ़वार अच्छी होती है और इससे फसल को नत्रजन मिलने के कारण पैदावार बढ़ती है।
बौछारी सिंचाई के लिए इसके सिस्टम में एक पम्प, मुख्य पाईप, बगल की पाईप, पानी उठाने वाले राईजर और पानी बौछार करने वाले फुहारे (नोजल) सम्मिलित होते हैं। बौछारी सिंचाई में पानी को पम्प द्वारा दबाव के साथ पाईप में भेजा जाता है जहाँ से यह राईजर में होता हुआ नोजल से वर्षा की बूँदों की तरह फसल पर गिरता है और इसे आवश्यकतानुसार बंद कर सकते हैं। बौछारी सिंचाई के दलहनी फसलों में निम्नलिखित लाभ है-
1. कम पानी का खर्च होता है।
2. समतल खेतों में समान सिंचाई हो सकती है।
3. हल्की सिंचाई करना सम्भव है।
4. कीटनाशक का प्रयोग इसी के साथ कर सकते हैं।
5. पाला पड़ने पर फसलों के नुकसान को कम कर सकते हैं।
6. सतही सिंचाई की तुलना में 2-3 गुना क्षेत्र में सिंचाई सम्भव है।
बौछारी सिंचाई में निम्नलिखित सावधानियाँ आवश्यक हैं जिससे सेट ठीक प्रकार कार्य करे-
1. स्वच्छ जल का प्रयोग करें।
2. दवाई का प्रयोग करने के बाद साफ पानी से पूरे सेट सफाई करनी चाहिए।
3. सभी उपकरणों को प्रयोग के बाद साफ कर छायादार स्थान पर चूहों से बचाकर सुरक्षित स्थान पर रखें।
4. बौछारी सिंचाई करते समय हवा की गति 15 कि.मी./घण्टा से अधिक न हो अच्छा रहता है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में गाँव के 25 कृषकों ने प्रतिभाग किया। |
2023-02-22 |
Click image to View
|