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स्थानीय खाद्य संसाधनों द्वारा कुपोषण का निवारण विषय पर प्रशिक्षण |
बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा द्वारा कम लागत में तैयार किये जाने वाले व्यंजन विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की आयोजक डा0 प्रज्ञा ओझा ने बुन्देलखण्ड में होने वाले कुल्फा के साग, महुआ का लटा, भकोसा, बुन्देली बुकनू, ज्वार की रोटी, चना का साग, बाजरा के लड्डू इत्यादि व्यंजनों को बनाने की विधि के साथ-साथ इसके पोषक तत्वों के महत्व को भी विस्तार से समझाया। उन्होनें कहा कि बुन्देलखण्ड में ऐसे कई भोज्य पदार्थ हैं जिसके उपयोग से कुपोषण, रक्ताल्पता, विटामिन व खनिज लवणों की कमी इत्यादि समस्याओं को जड से मिटाया जा सकता है। डा0 प्रज्ञा ओझा ने कार्यक्रम में महिलाओं को आधुनिकता के साथ अपनी परम्परागत धरोहरों के सृजन हेतु भी पे्ररित किया। उन्होने बताया कि महिला सशक्तिकरण तभी सम्भव है जब प्रत्येक महिला स्वयं व समाज के प्रति सकारात्मक सोच रखते हुये पुरूषों के साथ विभिन्न गतिविधियों में कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करेगी। अपने घर, परिवार व समाज को सुदृढ करने हेतु कुपोषण जैसी समस्या का निदान करेगी व स्वस्थ्य भारत निर्माण में अपना योगदान देेगी। कार्यक्रम में आयु व लिंग के अनुरूप विभिन्न खाद्य पदार्थों को भोजन में सम्मिलित करने हेतु भी विस्तार में चर्चा की गयी। कार्यक्रम में आगे केन्द्र के अध्यक्ष डा0 श्याम सिंह ने बताया कि खाद्य व पोषण सुरक्षा की दृष्टि से मोटे अनाज (श्री अन्न) की विशेष भूमिका है। ग्रामीण महिलायें आवश्यक रूप से अपने भोजन में मोटे अनाजों को सम्मिलित करें व विभिन्न बीमारियों के बचाव करें। कार्यक्रम के अन्त में डा0 दीक्षा पटेल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। |
2023-04-15 |
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