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‘‘वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन द्वारा आय अर्जन’’ विषय पर एक दिवसीय आन कैम्पस प्रशिक्षण कार्यक्रम |
दिनांक 21.03.2023 को कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा द्वारा ‘‘वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन द्वारा आय अर्जन’’ विषय पर एक दिवसीय आन कैम्पस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कुल 35 ग्रामीण महिलाओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ विषिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजक डा0 प्रज्ञा ओझा ने महिला कृषकों को सम्बोधित करते हुये कहा कि हमारे पर्यावरण की सुरक्षा हेतु कृषकों को विषेष रूप से जैविक खेती पर ध्यान देना होगा। इसके अन्तर्गत वर्मीकम्पोस्ट या केचुआ खाद सवोत्तम उपाय है। वर्मीकम्पोस्ट पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव उर्वरक है। यह केचुये द्वारा वनस्पतियों गोबर एवं भोजन के कचरे आदि को विघटित करके बनायी जाती है। वर्मी कम्पोस्ट में लगभग 03 प्रतिशत नाईट्रोजन, 02 प्रतिशत पोटाष व 02 प्रतिशत सल्फर पाया जाता है। इस खाद को तैयार करने में कृषकों को कुल डेढ से दो महीने लगते हैं। केचुआ खाद के उपयोग से भूमि गुणवत्ता में सुधार के साथ साथ जलधारण क्षमता में भी वृद्धि होती है। वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से भूमि में खरपतवार भी कम उगते हैं और पौधों में भी रोग व्याधि कम लगते हैं साथ ही साथ पौधों तथा भूमि के बीच आयनों के आदान प्रदान में में भी वृद्धि होती है। केचुआ खाद बनाते हुये इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि किसी भी प्रकार की रासायनिक कीटनाशक दवा का उपयोग न करें व केचुआ खाद को नमी वाले स्थान पर बनायें। कार्यक्रम में आगे डा0 श्याम सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक के0वी0के, बांदा ने कृषकों को श्रीअन्न (मिलेट्स) के उत्पादन को बढावा देने हेतु प्रेरित किया। डा0 प्रज्ञा ओझा ने सभी प्रतिभागियों को राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास फाउंडेषन दिल्ली द्वारा निर्मित पोषण वाटिका किट भी वितरित किये। |
2023-03-21 |
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