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अन्तराष्ट्रीय श्रीअन्न सम्मेलन का आयोजन का सीधा प्रसारण |
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई0सी0ए0आर0) नई दिल्ली में अन्तराष्ट्रीय श्रीअन्न सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसका उदघाटन देश के लोकप्रिय माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा किया गया। अपने उदबोधन में माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा कि मोटे अनाजों का प्रचलन इनकी महत्ता के कारण बढ रहा है एवं पूरी दुनिया में भारत मिलेट हब के रूप में विकसित हो रहा है। मोटे अनाजों को छोटे किसानों के द्वारा उगाया जाता है। वैश्विक स्तर पर इनकी मांग बढने से देश के 2.5 करोड छोटे किसानों की आय बढेगी। इस अवसर पर बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा के अन्र्तगत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा द्वारा प्राकृतिक खेती के अवसर के लिये श्रीअन्न (मिलेटस्) विषय पर एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। जिसमें जनपद के 02 विकास खण्डों के 40 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में केन्द्र के अध्यक्ष डा0 श्याम सिंह ने श्रीअन्न का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव के विषय में चर्चा की। उन्होनें बताया कि बुन्देलखण्ड में पारम्परिक तौर पर मोटे अनाज की खेती की जाती थी जोकि हरित क्रान्ति के परिणामस्वरूप कम हो गयी। मोटे अनाज की खेती बुन्देलखण्ड की जलवायु के अनुरूप हैं। जिसमें सूखा सहन करने की क्षमता एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है साथ ही यह कम लागत में उत्पादन किया जा सकता है। कार्यक्रम में डा0 प्रज्ञा ओझा ने प्रतिभागियों को मोटे अनाजों के प्रंस्सकरण एवं संरक्षण के विषय में विस्तृत जानकारी देते हुये कहा कि हम मोटे अनाजों को अपने दैनिक आहार का हिस्सा बनायें व मोटे अनाजों को आटा, लड्डू, इडली, डोसा, चीला, खीर इत्यादि भोज्य पदार्थ बनाकर सेवन करें। जिससे बुन्देलखण्ड में व्याप्त कुपोषण एवं एनीमिया जैसी गम्भीर समस्याओं से निजात पाया जा सकें। इसके साथ उन्होनें महिलाओं को रसोईवाटिका किट भी वितरित की व अपने घरों में ताजी सब्जियां उगाने के लिये प्रेरित किया।
केन्द्र के फसल सुरक्षा विशेषज्ञ, डा0 मन्जुल पाण्डेय ने प्राकृतिक खेती के महत्व के विषय पर प्रकाश डालते हुये बताया कि जीवामृत सूक्ष्म जीवाणुओं का महासागर है। इसको बनाने के लिए 10 ली0 देशी गाय का गौ मूत्र, 10 किग्रा0 ताजा देशी गाय का गोबर, 2 किग्रा0 बेसन, 2 किग्रा0 गुड़ व 200 ग्राम बरगद के पेड़ के नीचे की जीवाणुयुक्त मिट्टी को 200 ली0 पानी में मिलाकर, इनकों जूट की बोरी से ढ़ककर छाया में रखना चाहिए। फिर सुबह-शाम डंडे से घड़ी की सुई की दिशा में घोलना चाहिए। अन्त में 48 घण्टे बाद छानकर सात दिन के अन्दर ही प्रयोग किया जाना चाहिए।
केन्द्र के पशुपालन के विशेषज्ञ डा0 मानवेन्द्र सिंह द्वारा प्राकृतिक खेती में गाय की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी। केन्द्र की कृषि प्रसार विशेषज्ञ डा0 दीक्षा पटेल ने कृषक उत्पादक संगठन बनाकर श्रीअन्न (मिलेट्स) की खेती करने के लिये कृषकों को प्रेरित किया। |
2023-03-18 |
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