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प्रशिक्षण कार्यक्रम-मटर की वैज्ञानिक खेती |
बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा द्वारा कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘‘मटर की वैज्ञानिक खेती’’ विषय पर एक कृषक प्रशिक्षण बडोखर खुर्द विकास खण्ड के ग्राम महोखर में आयोजित किया गया। प्रषिक्षण में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 श्याम सिंह ने कृषकों के साथ मटर की खेती के वैज्ञानिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। डा0 सिंह ने बताया कि बांदा जनपद में रबी में चना मसूर के बाद मटर की फसल प्रमुख है। यहां की अपेक्षाकृत हल्की मिट्टियों में मटर की पैदावार अच्छी ली जा सकती है। अच्छी पैदावार के लिये बुवाई करते समय बीज षोधन एवं उचित प्रजाति का चयन महत्वपूर्ण है। जनपद के लिये प्च्थ्क् 10.12 - प्च्थ्क् 11.5 अच्छी प्रजातियां हैं। बुआयी उचित नमी पर 30 से0मी0 की दूरी पर करनी चाहिये। सामन्य भूमियों में 100 कि0ग्रा0 डी0ए0पी0 स्टार्टर डोज के रूप में प्रयोेग करने पर जडों का विकास अच्छा होता है एवं जडों में राईजोबियम की गांठें ज्यादा बनती हैं जो नत्रजन स्थिरीकरण कर पौधों को उपलब्ध कराती हैं। मटर की अच्छी पैदावार के लिये एक निराई एवं सिंचाई करना आवश्यक हैं। खरपतवार नियंत्रण के लिये बडे किसान पौण्डीमैथालीन खरपतवारनाशी की 3.3 ली0 मात्रा 800 ली0 पानी में मिलाकर एक हे0 क्षेत्र में बुआई के तुरन्त बाद स्प्रे करें। स्प्रे करते समय पीछे को हटें व पानी की मात्रा कम न करें और बुआई के 24 घन्टे के अन्दर ही स्प्रे करें।
मटर की अच्छी पैदावार के लिये जाडों में वर्षा होने पर लगने वाले रोगों का समय से निदान आवश्यक है। किसान भाई अधिक जानकारी के लिये मो0न0 9450791440 पर सम्पर्क कर सकते हैं। प्रशिक्षण में पशु विज्ञान के वि0व0वि0 डा0 मानवेन्द्र सिंह उपस्थित रहें। कुल 25 कृषकों ने प्रतिभाग किया। प्रषिक्षण में प्रगतिषील कृषकों श्री योगेन्द्र सिंह का विशेष सहयोग मिला। |
2022-11-30 |
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