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ऑफ कैम्पस कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम |
कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा0 श्याम सिंह द्वारा ऑफ कैम्पस प्रशिक्षण कार्यक्रम के अर्न्तगत एक कृषक प्रशिक्षण का आयोजन बड़ोखर विकासखण्ड के ग्राम कतरावल में किया गया। धान में फसल अवशेष प्रबन्धन विषय पर आयोजित प्रशिक्षण में डा0 सिंह ने कृषकों को अवशेष प्रबन्धन के महत्व को समझाया। उन्होंने बताया कि जनपद में 50000 हे0 से अधिक क्षेत्र में धान की फसल होती है जिसके पश्चात गेंहूँ की बुआई के लिए समय कम होता है ऐसे में धान की पुआल का प्रबन्धन जहाँ खेत की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण है वहीं कृषकों द्वारा कम्बाइन से कटाई गयी फसल में आग लगा दी जाती है जो गलत है। कृषकों को चाहिए कि धान की पुआल एवं शेष ठूँठों को जल्दी से जल्दी सड़ाने के लिए खेत में पलेवा करते समय 50-60 किग्रा0 यूरिया प्रति हे0 छिड़क दें एवं जुताई करने से पुआल जल्दी सड़ जायेगी वरना देर से सड़ने पर दीमक का प्रकोप हो सकता है और गेंहूँ की फसल पर प्रारम्भ के दिनों में विपरीत प्रभाव पड़ता है और फसल पीली पड़ जाने से बढ़वार रुक जाती है। कृषक भाई कम्बाइन से कटी फसल में डिकम्पोजर की एक शीशी 200 ली0 पानी में घोलकर तीन-चार दिन बाद स्प्रे कर जुताई कर सकते हैं। हाथ से कटी फसल की पुआल का प्रयोग पशुओ के चारे के रूप में दाने के साथ मिलाकर या हरे चारे में मिलाकर प्रयोग कर सकते हैं। कम्बाईन से कटी पुआल को खेत के एक कोने में गड्ढा बनाकर उसमें पुआल एवं गोबर/मिट्टी की परत दर परत लगाकर भर दें एवं भूमि के लेवल पर मिट्टी की परत से ढक दे। यदि डिकम्पोजर का स्प्रे कर दिया जाये तो बहुत जल्दी लगभग 40-45 दिन में अच्छी कम्पोस्ट तैयार हो सकती है जिसके प्रयोग से भूमि में जीवांश कार्बन की मात्रा बढ़ेगी और भूमि की ऊर्वरा शक्ति में भी वृद्धि होगी। इस कार्यक्रम में कुल 25 कृषकों ने प्रतिभाग किया। |
2022-11-17 |
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