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‘‘पर ब्लॅाक वन क्राप’’ कार्यक्रम सप्ताह |
प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन डालर के स्तर पर लाने के लिये कृषकों की आय में वृद्धि उत्पादन, प्रसंस्करण एवं निर्यात के उद्देश्य से उद्यान विभाग, बांदा द्वारा ‘‘पर ब्लॅाक वन क्राप’’ कार्यक्रम का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र पर आयोजित हुआ। कार्यक्रम में प्रगतिशील कृषक एवं किसान आयोग के सदस्य श्री प्रेम सिंह जी ने अध्यक्षता की। आधे में खेती आधे में बाडी सिद्धान्त अपनाना होगा। उप निदेशक उद्यान श्री विनय कुमार यादव एवं जिला उद्यान अधिकारी श्री केशव राम चौधरी के अलावा कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा के अध्यक्ष डा0 श्याम सिंह, सह प्राध्यापक उद्यान (फल विज्ञान) डा0 सुभाष चन्द्र सिंह के साथ वरिष्ठ निरीक्षण श्री इषबिन्द कुमार ने अपने विचार रखें।
किसान आयोग के सदस्य श्री प्रेम सिंह जी ने बताया कि पर्यावरण संतुलन एक महत्वपूर्ण कार्य है। यह किसान के लिये बहुत जरूरी है। एक तिहाई हिस्सा में पेड़ लगाना किसान की जिम्मेदारी है। सन् 1987 में केवल तकनीकी सपोर्ट था आज उद्याान से कई तरह की योजनाओं पर बड़ी मात्रा में कृषकों की सहायता दी जा रही है। किसान भाई बागों की ओर ध्यान दें यह महत्वपूर्ण एवं अन्य फसलों की तुलना में अधिक लाभकारी है साथ ही मौसम की बदलती परिस्थितियों में नुकसान भी कम होता है। बड़े किसान बाग अवश्य लगायें, इससे न केवल सम्मान बढ़ता है बल्कि जनमानस के लिये ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ने से वातावरण शुद्ध होता है। डा0 सुभाष चन्द्र सिंह ने कृषकों को बाग रोपित करने में सावधानियों का जिक्र करते हुये उनकी प्रारम्भिक अवस्था में अच्छे से देखभाल करने की सलाह दी। डा0 ब्रिजेन्द्र सिंह, सहायक प्राध्यापक ने फलों विशेषकर तिरस्कृत फलों के महत्व पर प्रकाश डालते हुये इन्हें पालने पर विशेष बल दिया और इनके परिरक्षण के तरीके व उपयोग करने के लाभों से परिचित कराया।
केन्द्र के अध्यक्ष डा0 श्याम सिंह ने कृषकों को प्राकृतिक खेती के महत्व पर प्रकाश डालते हुये मृदा स्वास्थ्य की देखभाल करने के तरीके बताये उन्होनें कहा कि टिाकऊ खेती के लिये जैविक खादों, हरी खाद, केचुआ खाद, नाडेप खाद, के साथ जैविक कीटनाशकों के प्रयोग द्वारा भूमि, जल व वायु को प्रदूषण से बचाया जा सकता है एवं टिकाऊ खेती की जा सकती है।
जिला उद्यान अधिकारी श्री केशव राम चौधरी द्वारा अवगत कराया गया कि प्रदेश की अर्थ व्यवस्था को वन ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर लाने के लिये औद्यानिक फसलों की उपज बढाकर एवं उसमें मूल्य संर्वधन पैकेजिंग, विपणन ब्राडिंग कर निर्यात योग्य बनाना आवश्यक है। |
2025-08-05 |
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