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प्रसार कर्मी प्रषिक्षण कार्यक्रम का आयोजन |
बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय, बांदा के अन्तर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा द्वारा उप कृषि निदेषक बांदा के सभागार में प्राकृतिक खेती की अवधारणा एवं महत्व विषय में एक दिवसीय प्रसार कर्मी प्रषिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें कृषि विभाग के 25 तकनीकी सहायक/बीटीएम/एटीएम ने प्रतिभाग किया। केन्द्र के अध्यक्ष डा0 श्याम सिंह ने प्राकृतिक खेती विषय पर चर्चा करते हुये कहा कि वर्तमान समय में रासायनिक आदानों की बढती कीमतें खेती की लागत से प्रमुख रूप से प्रभावित कर रही हैं साथ ही किसानों को रासायनिक उर्वरकों पर अनुदान के रूप में भारत सरकार लगभग 1.5 लाख करोड रू0 का भार प्रतिवर्ष वहन कर रही है। इन रासायनों का पर्यावरण, मृदा का स्वास्थ्य एवं मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है। ऐसी स्थिति में एक ऐसी कृषि पद्धति की आवष्यकता है जो उन सभी समस्याओं का समाधान कर सके तथा खेती का टिकाऊ व सतत विकास में भी सहायक हों। भारत में भी प्राकृतिक कृषि पुराने समय से ही चली आ रही है। जिसका संषोधित रूप सुभाष पालेकर जी ने सुझाया है। उनके द्वारा प्राकृतिक कृषि को आठ प्रमुख सिद्धान्तों को महत्व दिया गया है। जैसे-संष्लेषित पदार्थों का खेती में प्रयोग निषेध, प्राकृतिक कम्पोस्ट का अच्छादन, जैवविविधता, बायोप्रेरकों के साथ मृदा स्वास्थ्य को बढावा, वापसा निमार्ण, शून्य जुताई या न्यूनतम मृदा विस्थापन, देषी नस्लों की गायों का पालन, देषी बीजों का प्रयोग का प्रयोग कर प्रक्षेत्र पर प्राकृतिक खेती सफलतापूर्वक की जा सकती हैं, और किसान भाई प्राकृतिक खेती अपनाकर न केवल अपना स्वास्थ्य बल्कि मृदा व पर्यावरण का स्वास्थ्य भी ठीक कर सकते हैं।
कार्यक्रम में उप कृषि निदेषक श्री विजय कुमार ने प्राकृतिक खेती के महत्व के बारे में प्रतिभागियों को अवगत कराया, जैसे कि प्राकृतिक खेती से उत्पादन लागत में भारी कमी, बेहतर पर्यावरण संरक्षण एवं जैव विविधता, पानी की बचत एवं भूमि संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य में बढोत्तरी आदि। |
2024-11-29 |
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