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“धान की नर्सरी प्रबन्धन” विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम |
बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बाँदा के अन्तर्गत संचालित के0वी0के0, बांदा द्वारा ग्राम पचनेही में “धान की नर्सरी प्रबन्धन” विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा0 श्याम सिंह ने धान की नर्सरी प्रबन्धन हेतु विधिवत् जानकारी कृषकों को दी जोकि निम्नलिखित है-
बीज, बीज शोधन एवं नर्सरी की तैयारी:-
रोपाई हेतु स्वस्थ्य पौध तैयार करने के लिये नर्सरी डालते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहियें। एक हे0 की रोपाई हेतु 800 से 1000 वर्ग मी0 क्षेत्रफल में नर्सरी डालनी चाहिये इस क्षेत्र को 01 मी0 चैडी एवं सुविधानुसार लम्बाई की छोटी-छोटी उठी हुयी क्यारियों में बांट लें। दो क्यारियों के बीच 45 से0मी0 चैडी व 01 फीट गहरी नाली छोडे जो जल निकास व गर्मी में सीपेज द्वारा पौधों को नमी पंहुचाने के काम आयेेगी।
बीज की मात्रा:-
महीन प्रजाति 30 कि0ग्रा0 है, मध्यम प्रजाति - 35 कि0ग्रा0/हे0, मोटी प्रजाति-40 कि0ग्रा0 हे0 एवं उसरीली भूमियों में 25 प्रतिशत बीज की मात्रा बढा देनी चाहिये।
बीजोपचार एवं बीज जगाना:-
जीवाणु झुलसा के लिये धान के 25 कि0ग्रा0 बीज को उपचारित करने के लिये 04 ग्राम स्ट्रैप्टोसाईक्लिन सल्फेट या 40 ग्रा0 प्लान्टामायसीन दवाई को 45 ली0 पानी में घोल लें। रातभर के लिये डुबो दें, फिर 24-36 घण्टे तक अंधेरे कमरे में बीज अंकुरण कर लेव लगे तैयार खेत में इसकी समान रूप से छिडक दें।
बीजोपचार के लिये 25 कि0ग्रा0 बीजोपचार हेतु 75 ग्राम थायराम या 50 ग्रा0 कर्बेन्डाजिम को 8-10 ली0 पानी में घोलें, इस घोल में बीज जो 10-15 मिनट के लिये डुबो दें फिर बाहर निकालकर अंकुरण हेतु 24-36 घंटे अंधेरे में रखें, फिर लेव लगे खेत में समान रूप से छिडक दें। ट्राईकोडर्मा नाम फंफूद ( 125 ग्राम प्रति 25 कि0ग्रा0 बीज की दर से) भी बीजोपचार किया जा सकता है। प्रति 100 वर्ग मीटर क्षेत्र में 50 से 70 ग्राम (सूखा) बीज की बुवाई क्यारियों में करनी चाहिये।
नर्सरी की तैयारी:-
नर्सरी से पौधों को आसानी से उखाडने के लिये नर्सरी वाले खेत में 5-8 टन गोबर की खाद प्रति हे0 की दर से प्रयोग करें। इसके अलावा प्रति 100 वर्ग मी0 क्षेत्रफल की क्यारियों में 01 कि0ग्रा0 नत्रजन 0.4 कि0ग्रा0 फास्फोरस और 0.5 कि0ग्रा0 पोटाष उपलब्ध करने के लिये 870 ग्रा0 डी0ए0पी0 और 300 ग्राम न्यूरेट आॅफ पोटाष का प्रयोगर करें। रोपाई के एक सप्ताह पूर्व आधे से एक कि0ग्रा0 यूरिया प्रति 100 वर्ग मी0 प्रयोग करें।
सिंचाई:-
शुरू के कुछ दिन क्यारी को नम रखे पानी न भरें, जब 02 से0मी0 बडी पौध हो जाये तब हल्की पानी की परत बना सकते हैं। यदि धूप तेज हो तो पानी न भरें।
नर्सरी की फसल सुरक्षा:-
खैरा रोग - 5 कि0ग्रा0 सल्फेट़़ ़ 20 कि0ग्रा0 यूरिया का 1000 ली0 पानी/हे0 क्षेत्रफल की दर से छिडकाव बुआई के 10-14 दिन बाद।
सफेदा रोग:- 04 कि0ग्रा0 जिंक सल्फेट ़ 20 कि0ग्रा0 यूरिया़ 1000 ली0 पानी/हे0
भूरा धब्बा रोग - 02 कि0ग्रा0 जिंक मैगजीन कर्बामेट़ 600 ली0 पानी/हे0
कीटों से बचाव - 1.25 ली0 क्लोरापापटीफॅास 20 ई0सी0 ़ 600 ली0 पानी/हे0
सावधानी -
1. गर्मी में नर्सरी में पानी भरा न रहे। इसे निकालकर पुनः पानी देना सुनिष्चित करें।
2. यदि ज्यादा क्षेत्रफल में धान रोपाई की योजना है तब पानी, भूमि व अन्य संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार नर्सरी की बुवाई एक साथ न करके 2-5 दिन के अन्तराल पर थोडी-थोडी करें, जिससे हमें 21 से 25 दिन की पौध पूरे क्षेत्र को रोपाई हेतु उपलब्ध हो सके।
रोपाई के 15-20 दिन बाद घास उग आने पर -
विस्पायरी बैंक सोडियम 10 प्रतिशत एस0सी0 0.20 ली0 मात्रा को 500-600 ली0 पानी में मिलाकर छिडकाव करने से संकरी व चैडी पत्ती वाले सभी खरपतवार नियंत्रित हो जाते हैं।
नर्सरी -
नर्सरी बुआई के 2-3 दिन के अन्दर प्रेटिलाक्लोर 50 ई0सी0 / 1.25 ली0/हे0 की दर से 12-15 कि0ग्रा0 बालू में मिलाकर प्रयोग करते समय खेत में नमी होनी चाहिये।
कार्यक्रम में ग्राम के 25 कृषकों ने प्रतिभाग किया। |
2024-06-22 |
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