1 |
मृदा स्वास्थ्य अभियान के अन्तर्गत एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण |
बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा के अन्तर्गत संचालित के0वी0के0, बांदा में दिनांक 24-05-2024 को केन्द्र द्वारा मृदा स्वास्थ्य अभियान के अन्तर्गत ग्राम कनवारा में एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 श्याम सिंह द्वारा किसानों में मृदा स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से बताया कि पौधों को आवश्यक 16 तत्वों में से कार्बन, हाईड्रोजन व आक्सीजन को छोडकर शेष 13 तत्वों का माध्यम मृदा ही है। मृदा में इन पोषक तत्वों की कमी या असंतुलन के कारण पौधों का पोषण प्रभावित होता है। फसलों की बेहतर पैदावार के लिये उनका पोषण प्रबन्धन महत्वपूर्ण हो जाता है। पोषण प्रबन्धन करने के लिये यह जानना आवश्यक है कि फसल की पोषक तत्वों की मांग क्या हैं एवं मृदा में उसकी मात्रा व उपलब्धता कितनी है। फसलों की मांग उनकी प्रजातियों के अनुसार वैज्ञानिकों द्वारा अनुमोदित होती है। मृदा में पोषक तत्वों की मात्रा एवं उनकी उपलब्धता ज्ञात करने के लिये मृदा की जांच कराना आवश्यक है। मृदा जंाच प्रयोगशाला में की जाती है। इसके लिये खेत से मिट्टी का नमूना लिया जाता है।
मृदा जांच कब करायें:-
फसल काटने के पश्चात् सर्वप्रथम खाली खेत से नमूना लेना चाहिये।
नमूना कैसे लें:-
एक एकड समतल क्षेत्र से एक नमूना लेना चाहिये। एक नमूना बनाने हेतु खेत मेें चारों ओर मेड से 2 मी0 स्थान छोडकर 5-6 स्थानों से मिट्टी ली जाती है
मिट्टी कितनी गहराई तक लें:-
मिट्टी लेने के लिये खाद्यान्न फसलें सब्जी व अन्य मौसमी फसलों के लिये 0 से 15 से0मी0 गन्ना, कपास, आलू जैसे गहरी जडों वाली फसलों के लिये 0 से 30 से0मी0 गहराई के अलग-अलग नमूने लिये जाते हैं।
नमूना तैयार करना:-
खेत से चार-पांच जगह से लिये गये मिट्टी के नमूनों को एक साथ एक साफ पोलिथीन या पक्के फर्ष पर एकत्र कर मिला लेते हैं इस मिले ढेर के चार बराबर भाग करते हैं, फिर आमने सामने वाले 2 भाग को फेंक दें शेष दो को फिर मिलाकर ढेर बनायें, इस ढेर को फिर चार भागों में बांटकर, यह प्रक्रिया दोहरायें जब तक शेष मिट्टी 100-150 ग्राम न बच जाये, यही आपका नमूना है।नमूने को छायादार स्थान पर सुखाकर महीन पीस लेते हैं और इसको चलनी से छान लेते है। नमूना साफ कपडा या पोलीथीन की थैली में भरकर मुह बांध देते हैं।
नमूने की पहचान के लिये दो लेवल मोटे कागज पर कृषक का नाम, पिता का नाम,खेत की पहचान, आगे बोयी जाने वाली फसल का नाम आदिसूचनायें लिखकर तैयार किये जाते हैं जिसमें से एक को थैली के अन्दर तथा एक को धागे से थैली के मुंह पर बांध देते है।
सावधानियाँ :-
1. नमूने को रसायनों, खाद व धूप से बचाकर रखें।
2. नमूना लेने वाले यंत्र खुरपी आदि पर जंग न लगी हों।
3. खाद की बोरी का प्रयोग कभी न करें।
4. नमूने को साफ कपडे की थैली या नई पोलीथीन में रखें।
5. खडी फसल में नमूना लेने से बचें। |
2024-05-24 |
Click image to View
|