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तिल में नैनो यूरिया का प्रयोग विषय पर दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम |
दिनांक 06.07.2023 को बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा के अर्न्तगत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा द्वारा जनपद में तिल की उत्पादकता बढाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन तिलहन अन्तर्गत तिल में नैनो यूरिया का प्रयोग विषय पर दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गयां। जिसमें ग्राम कनवारा एवं चहितारा के 25 कृषकों ने प्रतिभाग किया। प्रशिक्षण में डा0 श्याम सिंह, अध्यक्ष, के0वी0के0, बांदा ने सभी कृषकों का स्वागत किया और बताया कि तिल बांदा जनपद की खरीफ मौसम की मुख्य फसल हैं। उन्होंने तिल की वैज्ञानिक विधि से खेती करने पर जोर दिया। श्री सिंह ने कहा कि जी0टी0-06 तिल की उन्नतशील प्रजाति है। कृषकों को तिल की जी0टी0-06 प्रजाति के बीज को प्रदर्शन हेतु उपलब्ध कराये गये। इस प्रजाति की उत्पादक क्षमता 9-10 कु0/हे0 है। साथ ही तेल की मात्रा 50 प्रतिशत होती है और यह 85 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। यह प्रजाति बुन्देलखण्ड क्षेत्र हेतु उपयुक्त है। डा0 सिंह ने कृषकों को तिल की बुवाई पंक्ति में करने एवं 20-25 दिन बाद निराई करने की सलाह दी और कहा कि तिल फसल में जल भराव न होने पाये, इसके लिये उचित जल निकास की व्यवस्था पहले ही करें एवं ऊंचे खेतों में ही इसकी खेती करें। केन्द्र के वि0व0वि0 पौध सुरक्षा डा0 चंचल सिंह ने तिल फसल में लगने वाले रोग एवं कीट हेतु एकीकृत कीट एवं रोग प्रबंधन विषय पर कृषकों को प्रशिक्षित किया।
इफको के क्षेत्रीय प्रबंधक श्री प्रतीक चौबे ने कृषकों को सम्बोधित करते हुये कहा कि इफको नैनो यूरिया 500 मि0ली0 की एक बोतल एक बोरी यूरिया के बराबर है। नैनो यूरिया प्रभावी रूप से फसल की नाईट्रोजन आवश्यकता को पूरा करता है। जिससे फसल उत्पादकता में वृद्धि एवं लागत में कमी होती है। उच्च दक्षता के कारण यह सामान्य यूरिया से 50 प्रतिशत कम लगता है। |
2023-07-06 |
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