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विश्व दुग्ध दिवस-वैज्ञानिक सोच एवं परिश्रम से लाभकारी होगा डेयरी उद्यम |
कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा द्वारा आज दिनांक 01.06.2023 को विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर पशुपालक गोष्ठी एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन मा0 कुलपति प्रो0 (डा0) एन0पी0 सिंह की अध्यक्षता मंे किया गया। विशिष्ट अतिथि के रूप में अधिष्ठाता कृषि डा0 जी0एस0 पवार, सह निदेशक प्रसार डा0 नरेन्द्र सिंह एवं डा0 आनन्द सिंह समेत जनपद के विभिन्न ग्रामों के 60 पशुपालकों ने प्रतिभाग किया। बी0यू0ए0टी0, बांदा के मा0 कुलपति डा0 एन0पी0 सिंह ने केन्द्र द्वारा आयोजित विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर पशुपालकों को सम्बोधित करते हुये कहा कि दूध एक सम्पूर्ण आहार है। भारत में अधिकांश शाकाहारी जनसंख्या होने के कारण दूध का महत्व और भी बढ जाता है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र की मुख्य समस्याओं में से एक अन्ना प्रथा एवं नवयुवकों का पलायन तथा खेती/पशुपालन के प्रति लगाव न होना है। आत्मनिर्भर एवं स्वावलम्बी बनने हेेतु पशुपालन एक अच्छा विकल्प है। थारपारकर नस्ल से कृत्रिम गर्भाधान द्वारा नस्ल सुधार एवं एकीकृत फसल प्रणाली अपनाकर आय बढाने हेतु कृषकों को प्रेरित किया। साथ ही उन्होनें कहा कि वैज्ञानिक सोच एवं परीश्रम द्वारा डेयरी उद्योग को लाभकारी बनाया जा सकता है। केन्द्र के अध्यक्ष डा0 श्याम सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं कार्यक्रम की रूप रेखा व उद्देश्य से सभी को अवगत कराते हुये बताया कि विश्व दुग्ध दिवस वर्ष 2001 से प्रतिवर्ष 01 जून को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दूध को वैश्विक भोजन के रूप में मान्यता दिलाना है साथ ही डेयरी उद्योग एवं पशुपालकों की अर्थव्यवस्था में योगदान हेतु सराहना करना भी है।
केन्द्र के पशुविज्ञान विशेषज्ञ डा0 मानवेन्द्र सिंह ए1 व ए2 दुग्ध विषय पर चर्चा करते हुये बताया कि भारतीय नस्लों के दुग्ध में ए2 प्रोटीन पायी जाती है जोकि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिये लाभदायक है, वहीं विदेशी नस्लों के दुग्ध में ए1 प्रोटीन पायी जाती है। जिससे मनुष्य के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव होने की सम्भावना होती है।
सह निदेशक प्रसार डा0 नरेन्द्र सिंह ने पशुपालको को सम्बोधित करते हुये कहा कि बुन्देलखण्ड में प्रति पशु दुग्ध उत्पादन देश के अन्य क्षेत्रों के अपेक्षा बहुत कम है जो अन्ना प्रथा होने का एक कारक भी है। दुग्ध उत्पादन बढाने हेतु कृत्रिम गर्भाधान द्वारा नस्ल सुधार एवं उन्नत नस्लों के चयन को अपनाने हेतु प्रेरित किया। डा0 जी0एस0 पवार ने पशुपालन को खेती का एक महत्वपूर्ण अंग बताया और कहा कि दूध हमारी सेहत के लिये फायदेमंद है। इसमें मौजूद पोषक तत्व हमारे सम्पूर्ण शारीरिक विकास के जरूरी है। सह निदेशक प्रसार डा0 आनन्द सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चुनौती है। जिसका दुष्प्रभाव खेती एवं पशुपालन पर पड रहा है। उन्होनें जलवायु अनुकूल प्रजाति एवं नस्लों का चयन करने हेतु कृषकों को प्रेरित किया। कार्यक्रम में तकनीकी सत्र का भी आयोजन किया, जिससे केन्द्र के वि0व0वि0 मानवेन्द्र सिंह ने उन्नत पशुपालन के मूलभूत सिद्धान्त, डा0 प्रज्ञा ओझा ने दूध व दूध से बनने वाले व्यंजन तथा डा0 दीक्षा पटेल ने पशुपालन क्षेत्र में सूचना संचार तकनीकी के महत्व पर कृषकों से चर्चा की। |
2023-06-01 |
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