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S.N. Title Detail Date Action
1 दूरदर्शन पर कृषि चौपाल का प्रसारण कृषि और किसान कल्याण विभाग, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग ने दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो के सहयोग से रिकॉर्ड किए गए किसान-वैज्ञानिक इंटरफेस के माध्यम से किसानों के बीच बेहतर प्रौद्योगिकी जानकारी के प्रसार के लिए एक मंच बनाने के लिए कृषि चौपाल कार्यक्रम शुरू किया है। हर महीने कार्यक्रम का एक एपिसोड आईसीएआर संस्थानों/कृषि विश्वविद्यालयों/केवीके में रिकॉर्ड किया जाएगा। प्रत्येक एपिसोड में कृषि में नवीन तकनीकों को दिखाया जाएगा। कृषि चौपाल का पहला एपिसोड 7 दिसंबर 2024 को दोपहर 2:00 बजे से 3:00 बजे तक प्रसारित होने वाला है और यह 109 नई किस्मों में से 54 पर चर्चा पर केंद्रित होगा। हाल ही में जारी की गई विभिन्न फसलें रबी मौसम के लिए उपयुक्त हैं। इस संबंध में, जैसा कि माननीय केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री की इच्छा है, आपसे अनुरोध है कि आप सभी 7 दिसंबर को केवीके में 'कृषि चौपाल' के पहले एपिसोड में भाग लेने और देखने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र में आमंत्रित हैं। केन्द्र पर ना पहुँचने की दशा में आप अपने घर में कार्यक्रम का प्रसारण देख सकते हैं। 2024-12-05
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2 "ग्लाइफोसेट के समुचित अनुप्रयोग" विषय पर ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम https://forms.gle/H5APxKUYNJJ5jdtU8 2023-11-06
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3 कृषक प्रषिक्षण कार्यक्रम-गेंहू में खरपतवार नियंत्रण बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विष्वविद्यालय, बांदा के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा द्वारा कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘‘गेंहू में खरपतवार नियंत्रण’’ विषय पर एक कृषक प्रषिक्षण महुआ विकास खण्ड के ग्राम जखनी में आयोजित किया गया। प्रशिक्षण में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 श्याम सिंह ने कृषकों को गेंहू में खरपतवार नियत्रंण विषय के वैज्ञानिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। डा0 सिंह ने बताया कि गेंहू जनपद की प्रमुख रबी फसल है। जनपद में इसकी पैदावार कम होने के प्रमुख कारणों में से खरपतवार विशेष कारण है। किसान भाई थोडे से प्रबंधन से कम लागत में खरपतवारों से होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं। धान-गेंहू फसल चक्र में गेंहू की फसल में गेंहू का मामा (फलैरिस माईनर) खरपतवार बहुत ज्यादा होता है। इसके नियंत्रण के लिये किसान भाई फसल चक्र को तोड गेंहू की जगह चना/सरसों उगायें। धान की रोपाई से पूर्व ढैंचा की बुवाई करें एवं खरपतवारनाषियों का प्रयोग कर सकते हैं। गेंहू की फसल में प्रमुख रूप से दो प्रकार के खरपतवार होते हैं एक संकरी पन्नी वाले एवं चौडी पत्ती वालें। इनके प्रबंधन के लिये फसल चक्र अपनाना, गर्मी की जुताई, निराई गुडाई एवं रासायनिक नियंत्रण के अलावा किसान भाई ध्यान रखें कि खेत में थ्रैसिंग वाले स्थान पर घासों के बीज को नष्ट करें, गोबर की अच्छी तरह सडी खाद ही प्रयोग करें एवं रसायनों का प्रयोग सही मात्रा में सही समय पर सही विधि से करें। फसल को पहले 45 दिन खरपतवार मुक्त रखना आसान व आवश्यक है। इसके लिये छोटे किसान प्रथम सिंचाई के बाद एक निराई करें व बडे किसान बुआई के तुरन्त बाद 3.3 ली0 पैण्डी मैथालीन को 800 ली0 पानी में मिलाकर स्प्रे करें अथवा सल्फो सल्फ्यूरॉन एवं मैट सल्फ्यूरॉन की 36 ग्रा0 सक्रिय मात्रा प्रति हे0 बुआयी के 30-35 दिन की अवस्था पर 600 ली0 पानी में घोलकर स्प्रे करें। अथवा केवल चौडी पत्ती वाले खरपतवार होने की दषा में किसान भाई 2,4-डी0 की 800 ग्राम मात्रा 600 ली0 पानी में घोलकर प्रति हे0 की दर से छिडकाव कर सकते हैं। किसान भाई गेंहू पकते समय गेंहू के मामा की कच्ची बालियां तोडकर नष्ट कर दें जिससे मिट्टी में बीज नहीं मिलेगें। इसके अलावा धान की तैयारी से पूर्व जलकुम्भी को काटकर खेती में सडाने से एवं ढैंचा सडाने से भी मोथा, सांवा एवं गेंहू के मामा के बीजों को नष्ट किया जा सकता है। प्रषिक्षण में कृषि प्रसार के वि0व0वि0 डा0 दीक्षा पटेल, ई0 अजीत कुमार निगम व धर्मेन्द्र सिंह उपस्थित रहें। कृल 25 कृषकों ने प्रतिभाग किया। प्रशिक्षण में प्रगतिषील कृषकों का भी विशेष सहयोग मिला। 2022-12-01
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4 प्रशिक्षण कार्यक्रम -मटर की वैज्ञानिक खेती’ बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा द्वारा कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘‘मटर की वैज्ञानिक खेती’’ विषय पर एक कृषक प्रशिक्षण बडोखर खुर्द विकास खण्ड के ग्राम महोखर में आयोजित किया गया। प्रषिक्षण में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 श्याम सिंह ने कृषकों के साथ मटर की खेती के वैज्ञानिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। डा0 सिंह ने बताया कि बांदा जनपद में रबी में चना मसूर के बाद मटर की फसल प्रमुख है। यहां की अपेक्षाकृत हल्की मिट्टियों में मटर की पैदावार अच्छी ली जा सकती है। अच्छी पैदावार के लिये बुवाई करते समय बीज षोधन एवं उचित प्रजाति का चयन महत्वपूर्ण है। जनपद के लिये प्च्थ्क् 10.12 - प्च्थ्क् 11.5 अच्छी प्रजातियां हैं। बुआयी उचित नमी पर 30 से0मी0 की दूरी पर करनी चाहिये। सामन्य भूमियों में 100 कि0ग्रा0 डी0ए0पी0 स्टार्टर डोज के रूप में प्रयोेग करने पर जडों का विकास अच्छा होता है एवं जडों में राईजोबियम की गांठें ज्यादा बनती हैं जो नत्रजन स्थिरीकरण कर पौधों को उपलब्ध कराती हैं। मटर की अच्छी पैदावार के लिये एक निराई एवं सिंचाई करना आवश्यक हैं। खरपतवार नियंत्रण के लिये बडे किसान पौण्डीमैथालीन खरपतवारनाशी की 3.3 ली0 मात्रा 800 ली0 पानी में मिलाकर एक हे0 क्षेत्र में बुआई के तुरन्त बाद स्प्रे करें। स्प्रे करते समय पीछे को हटें व पानी की मात्रा कम न करें और बुआई के 24 घन्टे के अन्दर ही स्प्रे करें। मटर की अच्छी पैदावार के लिये जाडों में वर्षा होने पर लगने वाले रोगों का समय से निदान आवश्यक है। किसान भाई अधिक जानकारी के लिये मो0न0 9450791440 पर सम्पर्क कर सकते हैं। कुल 25 कृषकों ने प्रतिभाग किया। 2022-11-30
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5 प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 11वीं किस्त के हस्तान्तरण का सजीव प्रसारण activities.php 2022-05-31
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