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कृषक प्रशिक्षण-बैगन के तना एवं फल भेदक कीट का प्रबन्धन |
बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा के अन्तर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा के फसल सुरक्षा वि0व0वि0 डा0 मंजुल पाण्डेय द्वारा जनपद बांदा के सब्जी उत्पादित विभिन्न ब्लॉकों जैसे बडोखर खुर्द, महुआ, नरैनी एवं तिंदवारी में बैगन में आ रहे विभिन्न रोगों एवं कीटों की समस्या को देखते हुये केन्द्र की वैज्ञानिकों द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 17.11.2022 को केन्द्र पर आयोजित किया गया। बैगन भारत की प्रमुख सब्जियों में से एक है, बैगन की 3 प्रकार की प्रजातियां पायी जाती हैं। 1. लम्बे फल वाली 2. नाशपाती के आकार वाली 3. गोल फल वाली। बैंगन की खेती लगभग पूरे जनपद मेें वर्षभर की जाती है। बैंगन की फसल में कई प्रकार के हानिकारक कीटों-रोंगों द्वारा प्रभावित भी होती है। अगर इसका समय रहते प्रबन्धन न किया जाये तो कृषक भाईयों को गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के साथ-साथ उत्पादित मूल्य का सही मूल्य नहीं मिल पाता है। बैंगन की फसल में इस समय फोमोप्सिस झुलसा रोग से ग्रसित हो रही है। यह रोग कवक द्वारा उत्पन्न होता है। यह बैंगन का एक बहुत ही हानिकारक रोग है। रोगी पौधों की पत्तियों पर छोटी छोटी गोल भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं एवं अनियमित आकार के काले धब्बे पत्तियों के किनारे पर दिखायी पडते हैं। ग्रसित पौधों की पत्तियां पीली पड के सूख जाती हैं। ग्रसित फलों पर धूल के कणों के समान भूरे रंग के धब्बे दिखायी पडते हैं जो आकार में बढकर फलों को सडाकर जमीन पर गिरा देते हैं। ये एक मृदाजनित एवं बाह्य बीज जनित रोग हैं। इसलिये इस रोग का प्रकोप पौधशाला में भी होता है। जिसके कारण पौधे झुलस जाते हैं। इस रोग के प्रबन्धन के लिये कृषक भाई रोग ग्रस्त पौधों को उखाड कर जला दें। रोग का अधिक संक्रमण होने पर कार्बाबन्डाजिम एवं मैनकोजेब उत्पाद या कार्बाबन्डा जिम या मैनकोजेब या बीटा बैक्स की 30 ग्राम प्रति टंकी में मिला कर छिड़काव करें और पुनः 7 से 10 दिन बाद उक्त दवाओं का छिड़काव करते रहें। इसी के साथ साथ कृषक भाईयों के खेतों पर तना एवं फल भेदक कीट का भी प्रकोप हो रहा है। यह बैंगन का प्रमुख कीट है। इस कीट की सूड़ियां बैंगन के पौधों को तनों एवं पत्तियों के डन्ठल में घुस जाती है और उन्हें अन्दर से खाती हैं। जिसके फलस्वरूप क्षतिग्रस्त भाग से पौधा सूख जाता है। निबौली की 40 ग्राम मात्रा को पीसकर प्रति ली0 की दर से पानी में घोलकर 10 दिन के अन्तर पर छिडकाव किया जायें। कृषक भाई प्रोफोनोफॉस 1 से 2 ली0 प्रति हे0 या थायडिकार्ब 600 ग्राम प्रति हे0 या कार्बाे फ्यूरॉन 2 से 3 कि0ग्रा0 प्रति एकड की दर से छिडकाव करें। |
2022-11-17 |
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