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"ग्रामीण परिवेश में पोषण व खाद्य सुरक्षा हेतु रसोई वाटिका की भूमिका" विषय पर प्रशिक्षण |
कृषि विज्ञान केन्द्र बाँदा द्वारा "ग्रामीण परिवेश में पोषण एवं खाद्य सुरक्षा हेतु रसोई वाटिका की भूमिका" विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया एवं एफएलडी कार्यक्रम के अन्तर्गत महिला कृषकों को निशुल्क पोषण वाटिका किट वितरित किया गया। प्रशिक्षण के दौरान केन्द्र की डॉ प्रज्ञा ओझा ने ग्रामीण महिलाओं को बताया कि रसोई वाटिका न केवल भोजन का स्रोत है बल्कि स्वास्थ्य, पर्यावरण और आर्थिक स्थिरता का भी आधार है। इसे हर ग्रामीण परिवार को अपनाना चाहिए ताकि "हर घर हो हरा-भरा और हर थाली हो पौष्टिक"। डॉ ओझा ने महिला कृषकों के साथ निम्नलिखित बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की-
खाद्य सुरक्षा में रसोई वाटिका की भूमिका
• सालभर ताज़ा भोजन की उपलब्धता
• सूखा, बाढ़ जैसी परिस्थितियों में भी परिवार के लिए भोजन का संरक्षण
• जैविक खेती द्वारा कीटनाशक मुक्त भोजन
रसोई वाटिका का पोषण में योगदान
• सब्ज़ियों, फलों, हरी पत्तेदार सब्ज़ियों और मसालों से मिलने वाले आवश्यक पोषक तत्व
• विटामिन, खनिज, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट की भूमिका
• बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के स्वास्थ्य में योगदान
रसोई वाटिका की स्थापना
• स्थान का चयन – घर के पास, पर्याप्त धूप, पानी की सुविधा
• मिट्टी की तैयारी – जैविक खाद का प्रयोग
• मौसम के अनुसार फसलों का चयन
• बीज और पौध का चुनाव – स्थानीय किस्में व उच्च उत्पादक किस्में
उगाई जाने वाली फसलें
(मौसम के अनुसार)
• ग्रीष्मकालीन – भिंडी, लौकी, टिंडा, करेला, टमाटर
• शीतकालीन – गाजर, मटर, पत्तागोभी, पालक, सरसों
• बारहमासी – पपीता, नींबू, अमरूद, मिर्च, अदरक, हल्दी
देखभाल और प्रबंधन
• जैविक खाद व गोबर खाद का प्रयोग
• कीट एवं रोग प्रबंधन – नीम तेल, राख, ट्रैप्स
• सिंचाई तकनीक – ड्रिप, मल्चिंग
अतिरिक्त लाभ
• महिलाओं की सहभागिता और सशक्तिकरण
• बच्चों को पौधों और प्रकृति के बारे में शिक्षा
• अतिरिक्त उपज से आय में वृद्धि |
2025-08-12 |
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