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अनुसूचित जाति उपयोजना (एस0सी0एस0पी0 योजना) अन्तर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम |
बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा के अन्तर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, बांदा द्वारा अनुसूचित जाति उपयोजना (एस0सी0एस0पी0 योजना) अन्तर्गत ग्राम नरैनी एवं चहितारा के 50 कृषकों को लेगहॅार्न नस्ल के चूजे उपलब्ध कराये गये। इस अवसर पर ‘‘मुर्गीपालन से उद्यमिता विकास’’ विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के सह निदेशक प्रसार डा0 आनन्द सिंह उपस्थित रहें। उन्होनें कृषकों से कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में जहां अधिकांश अनुसूचित जाति के कृषक भूमिहीन, लघु व सीमान्त हैं उनके लिये मुर्गीपालन एक उत्तम व्यवसाय सिद्ध हो सकता है। उन्होंने कहाकि मुर्गीपालन व्यवसाय में कम लागत में अच्छी कमाई की जा सकती है। उन्होंने कृषकों को वैज्ञानिक मुर्गीपालन के गुण बताये। उन्होने कहाकि किसान भाई बाडा बनाकर मुर्गीओं हेतु दाने की व्यवस्था करें तथा अंडे से चूजे बनने के लिये मुर्गी का 4-5 दिन तक अंडे को सेकना बहुत जरूरी है इसलिये कोशिश करो कि मुर्गी के दाना-पानी की व्यवस्था उनके पास ही की जाये इस प्रकार अंडे से चूजे प्राप्त कर सकते हैं साथ ही उन्होंने लाभार्थी कृषकों से आवाहन भी किया कि जिन्हें चूजे मिले हैं वे उतने ही चूजे अपने पडोसी को भी उपलब्ध करायें, इस प्रकार अपने ग्राम की पहचान मुर्गीपालन व्यवसाय से बदलें। तदोपरांत सभी कृषकों 10-10 चूजों की ईकाई दी गयी। कार्यक्रम में डा0 दीक्षा पटेल ने कृषकों को बताया कि लेगहॉर्न नस्ल की मुर्गियां छोटी, फुर्तीली मुड़ने वाली उत्तम प्रजनन क्षमता कम खाने वाली मुर्गी है। इसके नर चिकन का वनज लगभग 2.5-03 कि0ग्रा0 तथा मादा का 02-2.5 कि0ग्रा0 होता है। वे प्रतिवर्ष 280-320 सफेद दे सकती है। जिसका वजन 55 ग्राम होता है। कार्यक्रम के अंत में डा0 प्रज्ञा ओझा ने धन्यवाद् ज्ञापित किया। इस अवसर पर केन्द्र के डा0 चंचल सिंह, वि0व0वि0 (पौध सुरक्षा) तथा डा0 दीक्षा पटेल उपस्थित रहे। |
2024-12-31 |
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