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"सरसों में नैनो डी0ए0पी0 के प्रयोग’’ विषय पर प्रशिक्षण |
दिनांक 09.01.2024 को के0वी0के0, बांदा में कलस्टर अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन- तिलहन अन्तर्गत ‘‘सरसों में नैनो डी0ए0पी0 के प्रयोग’’ विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य जनपद में तिलहन की उत्पादकता बढाना साथ ही सरसों फसल में ईफको द्वारा निर्मित नैनो डी0ए0पी0 का प्रयोग के प्रति किसानों को जागरूक करना था। कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुये केन्द्र के अध्यक्ष डा0 श्याम सिंह ने सभी कृषकों का केन्द्र पर स्वागत किया । तदोपरान्त उन्होनें नैनो डी0ए0पी0 के महत्व व उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होनें कहा कि नैनो डी0ए0पी0 (तरल) एक उत्तम नैनो उर्वरक है जिसे ईफको द्वारा निर्मित किया गया है। इसमें नाईट्रोजन 08 प्रतिशत एवं फास्फोरस 16 प्रतिशत निहित है। इसमें विद्यमान पोषक तत्वों की उपयोग दक्षता 90 प्रतिशत हैं जबकि नाईट्रोजनयुक्त उर्वरकों की 50-60 प्रतिशत और फास्फोरस युक्त उर्वरकों का 15-20 प्रतिशत भाग ही पौंधों द्वारा उपयोग में आता है, शेष मिट्टी, हवा व पानी को प्रदूषित करता है। नैनो डी0ए0पी0 का फसल पर सही और समुचित प्रयोग करने से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये बिना पौंधों को पोषण प्रदान करता है। इसका फसल पर सही और समुचित प्रयोग करने से पर्यावरण को नुकसान पंहुचाये बिना पौधों को पोषण प्रदान करता है। फसल पर इसे 2-4 मिली0/ली0 पानी के हिसाब से सायंकालीन खेतों पर छिडकाव करें। 250-500 मि0ली0 की मात्रा एक एकड के लिये पर्याप्त होती है। तदोपरान्त केन्द्र के विषय वस्तु विषेषज्ञ (पौध सुरक्षा) डा0 चंचल सिंह ने सरसों में लगने वाले माॅहू कीट से बचाव हेतु नीम तेल के छिडकाव विषय पर चर्चा की, उन्होनें बताया कि जनवरी माह में माॅहू की समस्या आ जाती है। ऐसे में फसलों में 02 मि0ली0/ली0 पानी के हिसाब से नीम आयल का छिडकाव करें। इस कार्यक्रम में प्रतिभागी कृषकों को नैनो डी0ए0पी0 (आधा ली0 प्रति कृषक) एवं नीम तेल (आधा ली0/कृषक) निवेश भी उपलब्ध करायें गयें। इस कार्यक्रम में कनवारा ग्राम के चयनित 25 कृषकों ने प्रतिभाग किया। |
2024-01-09 |
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